शुक्रवार, 26 अक्तूबर 2012

गाँव के रहैया आवं खावौं बोरे बासी

राज्योत्सव शुरू होवइया हे। ये नवा ब्लॉग ला तेखरे पाय के चालू करे के हिम्मत करे हौं। आप मन के आशीर्वाद जरूर मिलही के आस लगाए। खाली आशीर्वाद नही, आप मन के मार्गदर्शन घलो मिलही कहिके। छत्तीसगढ़ महतारी कहाथे हमर छत्तीसगढ़ राज। फेर इहाँ के बोली भाखा के का कदर हे आज तेला आप जम्मो झन जानत हवव। अपन पुराना ब्लॉग उमड़त घुमड़त विचार माँ चढ़ाए एक ठिन पोस्ट ला ए मेरन मढ़ावत हौं अभी। बाद माँ कहूं आनी बानी के बिचार उमड़ही त टेम टेम (समय समय) मा उहू मन माड़ही ए जघा मा।
गाँव के रहैया आवं खावौं बोरे बासी.
करके सुरता बीते दिन के मोला घेर लेथे उदासी.   
पीढी दर पीढी संगे संग रहन भरे रहै घर मनखे मन ले    
घर के जतन मिल जुल के करन करै मदद सब तन मन धन ले  
कतको बड़े अघात हा संगी चिटीकुन नई जनात रहिस  
खुशी के दिन माँ घर हा संगवारी सरग(स्वर्ग)कैसे बन जात रहिस  
कतेक सुग्घर मिल जुल के रहन दिल माँ रहै सबके प्यार  
बड़े मन के लिहाज करै सब पावै छोटे मन दुलार  
बखर बखर बीतत गईस उप्जिस मन माँ कुविचार  
के अलग थलग रहिके हमन पा जाबो सुख अपार  
होके अलग परिवार ले संगी चलत हे खीचातानी  
माँ बाप ला छोड़ कोनो के रिश्ता ला का जानी  
भुलाके सब रिश्ता नाता ला होगेन कतेक दुरिहा  
एही फरक हे काल अउ आज माँ एला तुमन सुरिहा 
.........जय जोहार  

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