मोर गुरतुर बोली
बोली छत्तीसगढ़ी हे गुरतुर
रेंगै नही जीभ तोर तुरतुर
समझ म सबके आ जाथे
नइ जानन कहि के इतराथें
दूसर ल का दोष दन, अपने ल लगथे लाज.
बहुभाषी ज्ञानी बनौ, इहू ल बढ़ावौ आज..
जय जोहार....
रेंगै नही जीभ तोर तुरतुर
समझ म सबके आ जाथे
नइ जानन कहि के इतराथें
दूसर ल का दोष दन, अपने ल लगथे लाज.
बहुभाषी ज्ञानी बनौ, इहू ल बढ़ावौ आज..
जय जोहार....