आदरणीय ललित भाई के कला के आय कमाल,
मोर बर तो ब्लॉग सजाना, सजाना छोड़ो,
बनानच हो गे रिहिस जी के जंजाल,
का का ल नई डरेवं खंगाल।
फेर सुरता आइस ब्लॉग-गुरु के
भेजेवं, करत करत चैटिंग,ओखर मेर
अपन ये तकलीफ-संदेसा।
केहेवं, "कर पारे हंव अलहन,
अन्ते तंते ब्लॉग बना के
भाई तंही सुधार
मिटे मोर ये ब्लॉग-कलेसा।।"
ललित भाई करिस नहि देरी,
तुर्तेच ओला दइस सजाय।
बहुत बहुत धन्यवाद कहत हौं
दया माया तयं रखबे आंय।।
जय जोहार ........
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