छत्तीसगढ़ महिमा - समापन
मंदिर मंदिर म देवता धामी। बिनती करन कुमारग गामी ।।
बरसै किरपा तुहंर दिन रात। रहै न एकौ बिन रोटी भात।।
बरसै किरपा तुहंर दिन रात। रहै न एकौ बिन रोटी भात।।
'छत्तीसगढ़' के राखौ लाज। पहिरै सुग्घर राज के ताज
लिख परेंव "महिमा हे जारी"। गुन गुन लिखना परगे भारी।।
बिनती हे दुनो हाथ जोरि के। करौं समापन मन मरोरि के।
भरे नइ ये भेजा म कांही। पाके ज्ञान इहं फेर अवाही।।
चरन छत्तिसगढ़ दाइ के, पकड़ नवावों माथ।
जम्मो हीतु पिरोतु के, चाही मोला साथ।।
जय छत्तीसगढ़ ... जय जोहार
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बिनती हे दुनो हाथ जोरि के। करौं समापन मन मरोरि के।
भरे नइ ये भेजा म कांही। पाके ज्ञान इहं फेर अवाही।।
चरन छत्तिसगढ़ दाइ के, पकड़ नवावों माथ।
जम्मो हीतु पिरोतु के, चाही मोला साथ।।
जय छत्तीसगढ़ ... जय जोहार
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